गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में चल रहे सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला विषय ’योग एवं दर्शन’ दिनांक 22 दिसम्बर को योग प्रशिक्षण के छठवें दिन भी प्रतिभागियों की काफी संख्या रही। योग प्रशिक्षण डा. विनय कुमार मल्ल के द्वारा दिया गया। आज प्राणायाम, आसनों के कठिन अभ्यास बताए गए। योग प्रशिक्षण में लगभग 30 लोगों ने भाग लिया। इसमें स्नातक, परास्नातक, शोध छात्र आदि विद्यार्थी एवं अन्य लोग सम्मिलित हुए।
अपरान्ह 1 बजे आनलाइन माध्यम से बौद्ध परंपरा में योग विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के स्वागत के साथ शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र जी के द्वारा हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. कुलदीपक शुक्ल, सहायक आचार्य, संस्कृत एवं प्राकृत विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय रहे। उन्होंने बौद्ध धर्म में योग के विविध पक्षों पर चर्चा करते हुए कहा कि बौद्ध धर्म में प्राणायाम का नाम लिए बिना श्वास पर ध्यान देने की बात कही गई है। ध्यान के प्रारम्भिक अभ्यास बताए गए है तथा इस पर विस्तृत चर्चा मिलती है। बौद्ध परम्परा का अष्टांगिक मार्ग वस्तुतः योग मार्ग ही है। उन्होंने चार आर्य सत्य, प्रतीत्यसमुत्तपाद, शील, प्रज्ञा, समाधि, ब्रह्म विहार, काया, वेदना, धर्म पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
इस आनलाइन व्याख्यान में कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार द्वारा किया गया। शोधपीठ के के सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह द्वारा मुख्य वक्ता एवं समस्त श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। शोधपीठ के सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, वरिष्ठ शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल डॉ. देवेन्द्र पाल, डॉ. राजकुमार, डॉ. कपिल आदि जुड़े रहे।