डिजिटल डिवाइस के प्रति जागरूकताअत्यंतआवश्य-क : प्रोफेसर पूनम टंडन

शिक्षा-स्वास्थ्य

मारपीट व हत्या से ज्यादा साइबर अपराध के मामले दर्ज हो रहे ,दुनियाभर की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन रही फाइनेंशियल फ्राड: एसपी क्राइम सुधीर जायसवाल

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के संवाद भवन में विधि संकाय द्वारा आयोजित साइबर क्राइम अवेयरनेस कार्यक्रम ( मिशन शक्ति फेज 5) की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि डिजिटल दौर ने समाज को गति प्रदान की है तो साथ ही कई चुनौतियां भी हमारे समक्ष खड़ी कर दी हैं. साइबर वर्ल्ड से होने वाले दो अपराध प्रमुख हैं जिसमें एक का सीधा संबंध स्त्रियों से है. इसमें पहला है आर्थिक अपराध और दूसरा है निजता का हनन, निजता का मामला लिंग आधारित विभाजन में ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। इसलिए डिजिटल दुनिया के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है आज हर हाथ में स्मार्टफोन है लेकिन इसके साथ ही आवश्यक समझदारी व संवेदनशीलता होना भी आवश्यक है, विशेष रूप से लड़कियों को इसके प्रति सावधानी बरतनी होगी।

उन्होंने कहा की समग्रता में देखें तो यह मामला सिर्फ स्त्रियों से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि यह एक सर्व समाज के लिए चिंतनीय बिंदु है इसके लिए स्त्री पुरुष सबको मिलकर साथ काम करने की आवश्यकता है। ऊंची इमारत या बड़ी अर्थव्यवस्था से कोई बड़ा नहीं होता, वह बड़ा होता है अपने सहकारी दृष्टिकोण और समग्र विकास से इस दृष्टि से साइबर अपराध के संदर्भ में स्त्री पुरुष का एक साथ जागरूक होना महत्वपूर्ण है।

मिशन शक्ति के अंतर्गत चल रहे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसपी क्राइम श्री सुधीर जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि हर रोज साइबर अपराध के 7000 मामले दर्ज हो रहे हैं विद्यार्थियों के संदर्भ में इसकी शुरुआत दोस्ती से होती है. दोस्ती खत्म होते ही साइबर अपराध शुरू हो जाता है. दोस्ती के दौरान लोग आपसी निजी तस्वीरें इत्यादि सोशल मीडिया पर प्रेषित करते हैं, जो दोस्ती के समाप्त होने के साथ ही साइबर अपराध का एक हथकंडा बन जाता है।

उन्होंने बताया कि साइबर अपराध का क्षेत्र अब बहुत व्यापक हो चुका है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रोजगार फ्रॉड, ऑनलाइन पार्सल फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट, मैट्रिमोनियल साइट फ्रॉड, पति या मित्र के द्वारा साइबर ब्लैकमेलिंग इत्यादि के संदर्भ में मामले देखने को आ रहे हैं, चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित गोरखपुर में भी तीन मामले संज्ञान में आए हैं।

उन्होंने कहा कि इस मामले में तनिक भी और सामान्य महसूस होने पर 1930 ( नेशनल साइबर रिर्पोटिंग पोर्टल) पर सूचित करें। cybercrime.gov.in पर भी साइबर अपराध से संबंधित मामला दर्ज कर सकते हैं। साइबर क्राईम सेल लगातार ऐसे अपराध पर नकेल कस रही है।

उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल साइबर क्राइम के संदर्भ में किसी मामले को ट्रेस करना चुनौती पूर्ण है. किसी एक से ठगी करने के बाद अपराधी उन पैसों को लगभग 2000 अकाउंट्स में ट्रांसफर कर देते हैं. एकाउंट्स भी ऐसे जो किसी गरीब या मजदूर के नाम से खोले गए होते हैं. और भी कई तरह की उनमें कमियां होती हैं जिसकी वजह से उनकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है. यह मामला इतना जटिल और बड़ा हो चुका है कि वर्ल्ड की चौथी बड़ी इकोनॉमी के रूप में फाइनेंशियल फ्रॉड विकसित हो चुका है. मौजूदा दौर में मारपीट और हत्या से ज्यादा मुकदमे साइबर क्राइम के दर्ज हो रहे हैं. इसमें इलाज से ज्यादा बचाव वह जागरूकता प्रभावी है. साइबर क्राईम सेल इस दिशा में अपराध रोकने हेतु सदैव तत्पर है. समाज की जागरूकता इस दिशा में बड़ा परिवर्तन ला सकती है.

साइबर एक्सपर्ट विनायक सिंह ने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से साइबर अपराध और विशेष रूप से महिलाओं से जुड़े साइबर अपराध को विधिवत समझाया. इस दौरान साइबर क्राईम सेल के इंस्पेक्टर संदीप सिंह, शशि शंकर राय व शशिकांत जायसवाल मैं अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई.

मिशन शक्ति के इस जागरूकता अभियान में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर जितेंद्र मिश्र ने महिलाओं के संदर्भ में होने वाले साइबर अपराध पर संबोधित करते हुए कहा कि लापरवाह होंगे तो लुटेंगे, सतर्क होंगे तो बचेंगे. पुलिस, प्रशासन व सरकार चाहे जितना भी सक्षम क्यों न हो, व्यक्ति की सतर्कता का स्थान कोई भी नहीं ले सकता. उन्होंने गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि अब तक 669000 फर्जी सिम बंद किया जा चुके हैं. अपराध में शामिल डेढ़ लाख आईएमईआई बैंड की गई है.

साइबर अपराध से संबंधित मिशन शक्ति के इस जागरूकता अभियान का संयोजन एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशीष शुक्ला ने किया. नोडल अधिकारी प्रोफेसर विनीता पाठक ने स्वागत वक्तव्य दिया. विधि संकाय के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रोफेसर अहमद नसीम ने आभार ज्ञापन किया. इस दौरान विधि विभाग के शिक्षक एवं विद्यार्थियों से संवाद भवन भरा रहा एवं मिशन शक्ति फेस 5 के सदस्यगण उपस्थित रहे.

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