रूस का प्रतिनिधिमंडल यूक्रेन के साथ शांति वार्ता के लिये तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल पहुंचा….

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रूस का प्रतिनिधिमंडल यूक्रेन के साथ शांति वार्ता के लिये तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल पहुंचा. ये जानकारी तुर्की मीडिया ने साझा की है. मीडिया के मुताबिक, रूस के प्रतिनिधियों को लेकर विमान अतातुर्क हवाई अड्डे पर उतरा, जो विशेष रूप से राजनयिक मिशनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने तुर्की के राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा, वार्ता मंगलवार सुबह शुरू होने की उम्मीद है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन ने इस्तांबुल में अगले दौर की वार्ता आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की.

एर्दोगन ने आगे कहा कि तुर्की इस प्रक्रिया के दौरान हर संभव तरीके से योगदान देना जारी रखेगा. अब तक, रूस और यूक्रेन ने बेलारूस में तीन दौर की वार्ता की है और उनका चौथा सत्र एक वीडियो कॉन्फ्रें स के जरिए हुआ था.

एक तरफ युद्ध जारी है तो दूसरी तरफ सुलह की कोशिशें भी की जा रही हैं. एक बार आज फिर रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि बातचीत की टेबल पर आमने-सामने बैठकर युद्ध को थामने का रास्ता तलाशेंगे. हालांकि बैठक से पहले दोनों देशों का अंदाज बता रहा है कि बातचीत से उन्हें ज्यादा उम्मीद नहीं है.
यूक्रेन जल रहा है, रूस नहीं संभल रहा है. बातचीत की कोशिश जारी है. लेकिन फिलहाल समाधान दूर-दूर तक निकलता नहीं दिख रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2 हफ्ते बाद भी बातचीत की मेज पर आज बैठने में भी दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई. जिसके बाद टर्की की राजधानी इस्तांबुल में होने वाली बैठक को टाल दिया गया था.

बातचीत से पहले ही क्रेमलिन के प्रवक्ता का बयान आया है कि- इस्तांबुल में वार्ता के बाद पुतिन और जेलेंस्की के बीच बैठक की कोई योजना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन वार्ता में अब तक कोई ‘महत्वपूर्ण उपलब्धि’ नहीं हुई है.

प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि ‘हालांकि रूस के साथ बातचीत से पहले जेलेंस्की ने ये भी कहा है कि शांति के लिये वो जल्द तटस्थता का ऐलान कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए उनकी दो शर्तें भी हैं. पहली शर्त ये कि इस समझौते पर किसी तीसरे पक्ष को गारंटी देनी होगी और जनमत संग्रह भी रखना होगा.’

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि ‘सुरक्षा गारंटी और तटस्थता, हमारे राज्य की गैर-परमाणु स्थिति, हम इसके लिए तैयार हैं. यह सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है. जहां तक ​​मुझे याद है, यह रूसी संघ के लिए मुख्य बिंदु था और अगर मुझे सही याद है, इसलिए उन्होंने युद्ध शुरू किया था.
जेलेंस्की को रूस के साथ चल रहे महायुद्ध के विश्वयुद्ध में बदलने के आसार भी दिखने लगे हैं. ज़ेलेंस्की ने कहा है कि अगर रूस उनके देश से बाहर नहीं हो जाता है, तो तीसरा विश्वयुद्ध तय है. उन्होंने कहा कि ‘मैं समझता हूं कि रूस को यूक्रेनी क्षेत्र से पूरी तरह से मजबूर करना असंभव है. यह तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जाएगा. मैं इसे समझता हूं और इसलिए मैं एक समझौते की बात कर रहा हूं. वापस जाएं जहां यह सब शुरू हुआ और फिर हम डोनबास मुद्दे को हल करने का प्रयास करेंगे.’

वैसे यूक्रेन के सैन्य खुफिया विभाग के प्रमुख किरिलो बुडानोव ने अंदेशा जताया है कि पुतिन उत्तर और दक्षिण कोरिया की तरह यूक्रेन को दो हिस्से में बांट सकते हैं. रूस ने जब क्रीमिया पर कब्जा किया था, 8 साल पहले भी इस तरह की चर्चा जोर पकड़ी थी कि क्या यूक्रेन का विभाजन मुमकिन है? आखिर पुतिन की मंशा क्या है? पुतिन युद्ध को लंबा क्यों खींचना चाहते हैं? इन सवालों के जवाब किसी को पता नहीं हैं.

लेकिन शायद पुतिन फिलहाल यूक्रेन की किस्मत का फैसला लेने की स्थिति में नहीं हैं. जेलेंस्की उनके सामने डटे हुए हैं. जेलेंस्की को अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का समर्थन भी हासिल है. इसलिये महायुद्ध के फाइनल फैसले के लिये कुछ वक्त और इंतजार करना पड़ सकता

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