बिना सर्च वारंट के पुलिस नहीं ले सकती किसी स्थान की तलाशी,अकारण किसी को जगाकर तलाशी लेना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन..

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बिना सर्च वारंट के पुलिस नहीं ले सकती किसी स्थान की तलाशी

गोरखपुर:- रामगढ़ताल थाना क्षेत्र में पुलिस की पिटाई से होटल में कानपुर के कारोबारी की मृत्यु से पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। थानेदार के साथ ही आरोपित पुलिसकर्मियों ने संविधान एवं कानून में अपने लिए निर्धारित प्रतिबंधों एवं नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार की अवहेलना कर आपराधिक कृत्य किया है।

अकारण किसी को जगाकर तलाशी लेना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

पुलिस रेगुलेशन एक्ट के पैरा 236 (ब) में संदिग्ध के घर जाकर पता करने का अधिकार पुलिस को दिया गया था। पुलिस को मिले इस अधिकार से सामान्य नागरिक के मूलभूत अधिकार पर विपरीत प्रभाव पड़ने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने खड्ग सिंह बनाम राज्य 1962 के मामले में असंवैधानिक घोषित कर दिया। जिसके कारण पुलिस रेगुलेशन एक्ट का वह प्रावधान निष्प्रभावी हो गया। वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी सिंह का कहना है कि रामगढ़ ताल पुलिस का यह कृत्य पूरी तरह गैरकानूनी एवं असंवैधानिक है। यद्यपि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 में संज्ञेय अपराध की स्थिति में पुलिस को बिन वारंट गिरफ्तारी करने का अधिकार दिया गया है किन्तु वह भी प्रतिबंधों के अधीन है न कि पुलिस को निरंकुश होने के लिए।

कानून का उल्लंघन कर पुलिसकर्मियों ने किया आपराधिक कृत्य

धारा 93 में पुलिस अधिकारी बिना मजिस्ट्रेट द्वारा जारी सर्च वारंट के किसी स्थान की तलाशी नहीं ले सकता है जब तक ऐसी कोई विशेष परिस्थिति न हो कि सर्च वारंट जारी होने में लगने वाले समय के कारण किसी अभियुक्त के भागने की आशंका उत्पन्न न हो। उनका कहना है कि रात में कमरे में सोए हुए व्यक्ति को अकारण उसे जगाकर गैरकानूनी ढंग से तलाशी लिया जाना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि प्रकाश मिश्र ने कहा कि पुलिस का यह कृत्य जघन्य अपराध है। इसकी जितनी भी निन्दा की जाय कम है। पुलिस ने खड्ग सिंह के केस में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों, मानवाधिकार एवं नागरिकों को प्राप्त निजता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। पुलिस आधी रात में बिना सर्च वारंट किसी आपराधिक सूचना के बिना होटल में जाकर संवैधानिक उपबंधों के विपरीत कृत्य की है।

परिवार को आर्थिक सहायता व विधवा काे मिले नौकरी

रामगढ़ताल पुलिस की पिटाई से कारोबारी मनीष गुप्ता की हुई मौत के घटना की अधिवक्ता संगठनों ने निंदा करते हुए पीडि़त परिवार को 50 लाख रुपये आर्थिक सहायता तथा विधवा को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट के अध्यक्ष भानु प्रताप पांडेय एवं मंत्री अनुराग दूबे ने मंडलायुक्त को पत्र भेज कर उक्त मांग की। साधारण सभा द्वारा एसोसिएशन को दिए पत्र में अधिवक्ताओं ने मुकदमे की विवेचना किसी मजिस्ट्रेट के निर्देशन में किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराया जाने तथा अभियुक्तों की तत्काल गिरफ्तारी की भी मांग की है। जिला अधिवक्ता एसोसिएशन के अध्यक्ष के के त्रिपाठी एवं मंत्री योगेंद्र मिश्र ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि इससे वर्दी कलंकित हुई है। अभियुक्तों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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