कोटद्वार: हौसले बुलंद हों तो मौत को भी चकमा दिया जा सकता है। प्रदेश के एक इलाके में 18 साल के लड़के ने हिम्मत की ऐसी मिसाल दी है कि पूरा उत्तराखंड दाद दे रहा है। ग्राम सिमल्या के सतबीर ने अपनी दो बहनों समेत 30 बकरियों की जान बचाई। आग की लपटों से लड़कर आया सतबीर अभी घायल है और अस्पताल में भर्ती है।
उत्तराखंड के जंगलों में धू-धू कर आग लगी हुई है। इन्हीं आग लगी की घटनाओं से शासन-प्रशासन की नींद उड़ गई है। जानवरों, ग्रामीणों को भारी नुकसान हो रहा है। हालांकि हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि स्थिति पर नियंत्रण किया जा सके। इसी बीत पौड़ी गढ़वाल के इलाके से एक बड़ी खबर सामने आई है।
रविवार की शाम को जिले के द्वारीखाल ब्लॉक में सिमल्या गांव निवासी 18 वर्षीय सतबीर उस वक्त अपनी 35 बकरियों के जंगल में ही था जब आसपास में आग लगी हुई थी। जानकारी के अनुसार सतबीर के साथ उसकी चचेरी बहन किरन (11) और रिश्ते की बहन सिमरन (13) भी थी। अस्पताल में इलाज करा रहे सतबीर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि आग उन लोगों से काफी दूर थी। इसी कारण से वे लोग बातों में खोए हुए थे। मगर थोड़ी देर बाद अचानक से तेज़ हवा चली तो वे लोग आग की लपटों के बीच घिर गए।
आग ने देखते ही देखते इतना भयंकर रूप धारण कर लिया कि तीनों के तीनों डर गए। दोनों बगनें रोने लगी मगर सतबीर ने हिम्मत नहीं हारी। उसने शांत दिमाग से काम लिया। सतबीर ने पेड़ों की हरी टहनियां तोड़ कर आग को बुझाना शुरू किया। जिस कारण बीच से निकलने का रास्ता शुरू कर दिया। पहले उसने अपनी बहनों को सुरक्षित घर पहुंचाया। जिसके बाद वह बकरियों को लेने गया।
हालांकि इस दौरान पांच बकरियों की जान चली गई। लेकिन आग में झुलसते हुए भी सतबीर 30 बकरियों को बचा कर ले आया। आग की लपटों में उसके कपड़े जलने लगे तो उसने भाग कर तीन सौ मीटर दूर स्थित नदी में छलांग मार दी। जिसके बाद बहनों ने घर पर जानकारी दी। बाद में ग्रामीणों की मदद से सतबीर को एंबुलेंस से कोटद्वार स्थित बेस चिकित्सालय ले जाया गया।
चिकित्सकों से मिली जानकारी के मुताबिक सतबीर की हालत अब पहले से बेहतर है। 11वीं कक्षा के छात्र सतबीर ने कहा कि यह उसके पिता और भगवान का आशीर्वाद है। सतबीर के पिता चंद्रमोहन कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे के साहस पर गर्व है।